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"अब, मैं चाहूँगी सभी नागरिक दस हितकारी कार्यों का अभ्यास करें, और अपनी वाणी, क्रिया और सोच शुद्ध और कृपालु और करुणामयी, प्रेममयी और दयालु, संतानोचित और एक दूसरे के प्रति रक्षात्मक रखें। इस बारे में बहुत अधिक लापरवाह ना हों। फिर आप तीन बुरे मार्गों, तीन दुष्ट मार्गों से बचने में सक्षम होंगे। जीवन दर जीवन, आप पैदा होंगे स्वर्ग या धरती पर, धन और प्रसन्नता का आनंद लेंगे।"