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"एक जानवर के प्रति किया गया एक अच्छा काम एक इंसान के प्रति किए गए अच्छे काम के रूप में पुण्यशील होता है, जबकि एक जानवर के प्रति क्रूरता का कार्य मनुष्य के प्रति क्रूरता के कार्य जितना ही बुरा है" - हदीस "एक जानवर पर उससे अधिक बोझ मत डालो जितना यह सहन नहीं कर सके। हमें, वास्तव में, पुस्तक में सबसे बाध्यकारी हस्तक्षेप के माध्यम से इस तरह के व्यवहार के लिए मनाही की गयी है आप सम्पूर्ण सृष्टि के बीच न्याय और निष्पक्षता का रूप बनो। - बहाउल्ला, सबसे पवित्र पुस्तक "सभी पुरुषों के पास एक दिमाग है जो दूसरों के दुखों को देखना सहन नहीं कर सकता है। इसी प्रकार एक श्रेष्ठ आदमी है जो जानवरों के प्रति संवेदनशील है उन्हें जिंदा देखते हुए वह उन्हें मरते हुए देखना सहन नहीं कर सकता; उनके मरते हुए का चीत्कार सुनना, वह स्वयं का मांस खाना सहन नहीं कर सकता।" -मेन्सियस, लिआंग का किंग हुई (कन्फ़्यूशियनवाद ) खाना पकाने की कला ज्ञात होने से पहले, आदिम लोग केवल सब्जियां खाते थे...। उसके बाद ऋषिओं ने लोगों की भोजन आपूर्ति के लिए साथ पुरुषों को खेती करना और पेड़ लगाना सिखाया। और इसका एकमात्र उद्देश्य था भोजन को सुरक्षित करना ऊर्जा बढ़ाने के लिए, भूख की संतुष्टि, शरीर को मजबूत करने के लिए और पेट को प्रसन्न करने के लिए। - मोज़ी, अधिकता में लिप्त रहना (मोहिवाद) भेंट अर्पण करने के लिए जानवरों को मत मारो, ऋषि व संत पक्षपातपूर्ण नहीं होते हैं। आपकी बीमारी पिछले जीवन के खराब कर्म (प्रतिफल) या इस जीवन की हिंसा के कारण है। - उत्साहजनक भलाई पवित्रशास्त्र (होआ हाओ बौद्ध धर्म) हमारा गुरु, हमारे आध्यात्मिक मार्गदर्शक, हमारे साथ केवल तब तक खड़े होते हैं जब तक हम कोई मांस या मृत शरीर नहीं खाते हैं। - गुरु ग्रंथ साहिब (सिक्ख धर्म) बंदी जानवरों को खरीदें और उन्हें स्वतंत्र कर दे। संयम कितना सराहनीय है जो एक कसाई की जरूरत ही समाप्त कर देता है। चलते समय सावधान रहें कीड़ों और चींटियों के प्रति। आग से सावधान रहें और पर्वत के जंगल या वनों को आग न लगाएँ। पर्वत पर जाल में पक्षियों को पकड़ने न जाएँ, न ही जल के पास जाएँ मछलियों को जहर देने के लिए। उस बैल का वध न करो जो खेत में हल जोतता है। -शांत पद्धति का मार्ग (ताओवाद) "उन पौधों, जिन्हें मैं, अहुरा माज़दा (भगवान), जो धरती पर भेजता हूँ, वफादार, और लाभकारी गाय के लिए चारा लाने के लिए; मेरे लोगों के लिए भोजन लाने के लिए कि वे इस पर निर्भर रह सकें, और लाभकारी गाय के लिए चारा ला सकें।" -अवेस्ता (जोराष्ट्र्वाद) अब हम अपने प्रिय गुरु जी परम गुरु चिंग हाई के विचार-उत्तेजक उद्धरणों के साथ हमारे 4-भाग वाले कार्यक्रम को समाप्त करते हैं। "यह दुनिया जानवरों सहित सभी के लिए है। यही कारण है कि हम शाकाहारी (विगन) नीति का पालन करते हैं क्योंकि इस ग्रह पर मौजूद सभी प्राणियों की सोच शक्ति के बल के कारण यह दुनिया अस्तित्व में आई है। हम चाहते थे यह जगह अस्तित्व में रहे, जानवरों के समेत, लेकिन जब हम इस दुनिया में आए, तो हमने सोचा कि यह हमारी ही है। हर कोई सोचता था कि यह उनकी थी। तो हम दूसरे 'एलियंस' से छुटकारा पाने लगे- लाल, काला, पीला और इसी तरह। लाल सफेद से छुटकारा पाने के लिए चाहते थे, और सफेद काले से छुटकारा पा लिया। और फिर काले और सफेद और पीले जानवरों से छुटकारा पा लिया, और इसी तरह और भी। तो हम भूल गए हैं कि हम सह-मालिक हैं, इस दुनिया के एकमात्र मालिक नहीं हैं। यही कारण है कि हमें जानवरों को मारना नहीं चाहिए, उन्हें नहीं खाना चाहिए, और विशेष रूप से अन्य प्राणियों को मारना नहीं चाहिए।"