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हम मनुश्य हैं, ईष्वर के बच्चे हैं। हम जाकर छोटे चूजों को प्रताडित नहीं करते, हम मछली को कांटा लगाकर उसको हवा में नहीं चिखवाते हैं। हम सुअर की भीड़ नहीं लगाते और उनको बीमार और कश्टमय बनाते हैं, और फिर उनको रोग का दोश नहीं देते हैं। हम छोटे झींगों को लेकर उनको जीवित नहीं तलते हैं, यह भयावह है! यह कोई मानवीय व्यवहार नहीं है। हमें इस प्रकार व्यवहार नहीं करना चाहिये। और यदि हम ऐसा करते हैं, हम किसी चीज का दोश नहीं दे सकते जो हमारे साथ होता है जोकि भयावह है। हमें केवल वापस मुड़ना हैं, और मनुश्य की भांति जीना हैं, ईष्वर के बच्चे की भांति! ईष्वर का बच्चा पूर्ण दैवीय, पूर्ण प्रेममयी, पूर्ण दयालु, दुर्बल और छोटे की पूरी रक्षा करने वाला होता है। ईष्वर का बच्चा हत्या करने के लिये चारों ओर नहीं जाता, दूसरे असहाय जीवों की हत्या नहीं करता, चारों ओर जाकर ग्रह और विष्व का विनाष नहीं करता केवल मांस के एक टुकडे की खातिर, जिसे बदला जा सकता है। पूर्ण सम्मेलन "शुक्र रहस्य" को निशुल्क देखने या डाउनलोड करने के लिए, कृपया जाएँ Edenrules.com और खोजें वीडियो नंबर 878